दिल्ली में संसद मार्ग स्थित एक मस्जिद में हुई समाजवादी पार्टी (सपा) की बैठक के दौरान सपा सांसद डिंपल यादव के पहनावे को लेकर ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन (एआईआईए) के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी द्वारा की गई आपत्तिजनक टिप्पणी ने सियासी गलियारों में तूफान खड़ा कर दिया है। इस टिप्पणी के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसदों ने संसद परिसर में हल्ला बोला है, जबकि सपा की युवा सांसद इकरा हसन ने भी मौलाना के बयान पर कड़ा रिएक्शन दिया है।
क्या है पूरा विवाद?
यह विवाद तब शुरू हुआ जब 24 जुलाई को दिल्ली के संसद मार्ग मस्जिद में सपा की एक बैठक हुई, जिसमें अखिलेश यादव, डिंपल यादव और इकरा हसन सहित कई नेता शामिल थे। मौलाना साजिद रशीदी ने एक टीवी डिबेट के दौरान डिंपल यादव के मस्जिद में बिना सिर ढके बैठने और उनके पहनावे पर आपत्तिजनक टिप्पणी की। मौलाना ने डिंपल यादव के पहनावे को "नंगा" करार दिया और इसकी तुलना इकरा हसन से की, जो उस दौरान सिर ढके हुए थीं। उन्होंने डिंपल यादव की पीठ की तस्वीर का हवाला देते हुए कहा कि इसे देखकर कोई भी शरमा जाएगा।
बीजेपी सांसदों का विरोध प्रदर्शन
मौलाना रशीदी की टिप्पणी के बाद बीजेपी सांसदों ने सोमवार को संसद परिसर में इस मामले को लेकर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। बीजेपी सांसदों ने अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी पर मौलाना के बयान पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि यह टिप्पणी सिर्फ डिंपल यादव का नहीं, बल्कि पूरे देश की महिलाओं का अपमान है और अखिलेश यादव को अपनी पत्नी के सम्मान में आवाज़ उठानी चाहिए। कई महिला सांसदों ने भी इस टिप्पणी को शर्मनाक बताया और मौलाना के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
इकरा हसन का तीखा पलटवार
सपा सांसद इकरा हसन, जो खुद भी उस बैठक में मौजूद थीं, ने मौलाना साजिद रशीदी के बयान पर कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि एक महिला जनप्रतिनिधि और देश की संसद सदस्य पर ऐसी टिप्पणी करना बेहद शर्मनाक है। इकरा हसन ने मौलाना के सामाजिक बहिष्कार की मांग करते हुए कहा कि ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि "ये कोई धर्मगुरु नहीं हैं, न ही किसी धर्म के ठेकेदार हैं। इन्हें किसी भी महिला पर ऐसी टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है।" इकरा हसन ने मौलाना के बयान को नारी सम्मान के खिलाफ, असंवेदनशील और महिला विरोधी बताया, जो सामाजिक सौहार्द को भी नुकसान पहुंचा रहा है।
मौलाना अपने बयान पर अडिग
विवाद और एफआईआर दर्ज होने के बावजूद, मौलाना साजिद रशीदी अपने बयान पर अडिग दिख रहे हैं। उन्होंने कहा है कि उन्होंने कोई अमर्यादित टिप्पणी नहीं की, बल्कि इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार बयान दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद कोई संसद नहीं है और वहां की मर्यादाएं अलग होती हैं।
यह विवाद अब राजनीतिक और सामाजिक दोनों स्तरों पर गरमा गया है, जहां महिलाओं के सम्मान और धार्मिक स्थलों की मर्यादा जैसे कई मुद्दे चर्चा का विषय बन गए हैं।
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